लेखक : डॉ. नीरज मील 'नि:शब्द'
ईमानदारी वर्तमान समय में अपनी प्रासंगिकता खोती जा रही है। देश में मूल्यों का पतन जारी है। सच की लालसा किसी को नहीं है। हर कोई स्वार्थ के लिए अंधाधुन्ध लालायत है। इन्ही सब के बीच है हमारे लेखाकार सत्यार्थ। जैसा नाम वैसा व्यवहार। सिर्फ सत्य को ही स्वीकार करने का जूनून है इन पर।