Saturday, 29 October 2016

Diwali ke uphar दीपावली का उपहार

दीपावली का उपहार
डॉ. नीरज मील
       कैसे मंजूर करू मुबारक ? हमे सांत्वना या मुबारक नहीं बदला चाहिए  

   संदीप के घर इस बार खुशियों की बौच्छार होने वाली थी। संदीप का अपने घर में तीन बहनों पर इकलौता भाई था। कक्षा 10 के बाद से ही संदीप सेना में जाने का इच्छुक था। तीन सेना भर्तिया भी देखी। लेकिन हर बार एक ही हश्रशारीरिक दक्षता में अव्वल लेकिन लिखित परीक्षा में फेल। संदीप मंरेगा में मजदूरी करके स्वयंपाठी के रूप में पिछले साल ही उसने 60 प्रतिशत अंकों से 12 कक्षा उतीर्ण की थी। तेरह माह पहले ही उसके पिताजी की लम्बी बीमारी और इलाज़ के आभाव में अकाल मृत्यु हो गयी थी। परिवारकुटुम्ब ले लोग कन्नी काट गएतीन माह के शोक के बाद दस माह पूर्व परिवार को थोड़ी ख़ुशी मिली थी क्योंकि उसका चयन भारतीय सेना में हुवा था। हालांकि एजेंट को शारीरिक दक्षता पास करने के बाद लिखित परीक्षा पास के लिए एक लाख की पेशगी दी थी।

      सेना में भर्ती के बावजूद रिश्ते की जहाँ भी बात चलती तो बदले में उसकी एक बहन का रिश्ता माँगा जाता। यह संदीप को मंजूर नहीं था। काफी खोज के बाद तीन माह पहले उसकी सगाई भी हो गई थी। अब सब कुछ सामान्य होने को चला था। एक माह पूर्व जब संदीप की माँ ने संदीप से बात की तो उसने दिवाली पर 45 दिन की छुट्टिया मिलाने की बात कही तो माँ खुश होकर अपने 2 कमरों के घर को पेंट करने की बात कही और शादी की तारीख तय करने की बात कही । संदीप भी माँ के मन में ख़ुशी देखकर खुश हो गया। इधर संदीप की माँ ने दीपावली के आठ दिन बाद अर्थात कार्तिक शुक्ल अष्टमी का शुभ मुहर्त देखकर संदीप विवाह की तारिख पक्की कर दी। ख़ुशी की आहट से सब ओर ख़ुशी का माहौल दिखने वाला था तो सब खुश हो रहे थे। संदीप की बहने भाभी के रूप में एक पक्की दोस्त मिलने के लिए खुश थी तो संदीप की माँ बहु के मोद(ख़ुशी का गर्व) से उत्सुक हो रही थी। कल्पपनाओं का संसार अपने चरम पर थी। उधर संदीप सोच रहा था कि इस दीपावली पर सभी के लिए क्या उपहार दिए जाये। घर पर फोन करके संदीप ने बताया कि उसे 29 अक्टूबर को छुट्टी मिलेगी।
    

    लेकिन 28 अक्टूबर की रात पाकिस्तान की ओर से की जा रही फायरिंग के जवाब में संदीप ने पराक्रम कर परिचय देते हुए 5 पाक सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया लेकिन अल सुबह एक गोली संदीप के सीने से आरपार होते हुए संदीप और संदीप के परिवार के सपनों को छलनी कर गए। दीपावली पर जलने वाले ख़ुशी के दिए अब संदीप के मौत पर जलाये जाने वाले मातम के दीयों में तब्दील हो गए। जिस 2 कमरों के घर में खुशियाँ आने वाली थी अब उसकी हर एक ईट दुःख , मातम और अनिश्चितता की धुहाई दे रही हैं। देश में सब ओर दिवाली की मुबारके आदान-प्रदान हो रही हैं वहीँ संदीप के घर संतप्त सांत्वना आ रही हैं। कोई दुल्हन बनने से पहले ही वीरांगना हो गई हैं तो कोइ ननद बनने से रह गयी है। पूरे देश के युवा दीपवाली में मस्त है और युवा संदीप के घर मातम का माहौल पसरा पड़ा हैं। बारात की जगह जनाज़े की तयारी मुकम्मल हो चुकी हैं। सेहरे की जगह कफ़न काम में लिया जा रहा है। ऐसे में कैसे कह दू कि दीपावली के उपहार नहीं मिले।
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मैं डॉ. नीरज मील न कांग्रेस को पसंद करता हूँ न मोदी से एकत्फाक रखता हूँ ,
देशभक्त नागरिक हूँ सिर्फ देशहित से सरोकार रखता हूँ ।
वतन से उल्फत रखने वालों का यही बेखोफ जुदा अंदाज़ होता हैं,
सिर्फ से हित में जीता हूँ और मुमकिन हक की बात कहता हूँ।। 

दोस्तो,आप कौनसी दिवाली की बधाई दे रहे होजब हमारे शहीदों के परिवारों मे मातम है! क्या उनसे हमे कोई सहानुभूति नही है। हमे बदला चाहिए,बधाई नही?
Reference:
1.http://navbharattimes.indiatimes.com/thumb/msid-53287013,width-400,resizemode-4,shahid.jpg
2.http://resize.khabarindiatv.com/resize/660_-/2016/02/shahid-1456155446.jpg
3.http://i9.dainikbhaskar.com/thumbnail/680x588/web2images/www.bhaskar.com/2016/01/05/0_1452002067.jpg
4.http://i9.dainikbhaskar.com/thumbnail/600x519/web2images/www.bhaskar.com/2016/08/11/1_shaheed-bihar_147086168.jpg
5.http://ccnkhabar.com/wp-content/uploads/2016/06/article-urn-publicid-ap.org-f933f9a12ec74dfd87ec9933f6d3c51d-ELgwJLxtC74a990d6b1178d669d-582_634x429.jpg


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