Compiled by- Dr. Neeraj Meel
जिस प्रकार देवी लक्ष्मी सागर मंथन से उत्पन्न हुई थी उसी प्रकार भगवान धनवन्तरि भी अमृत कलश के साथ सागर मंथन से उत्पन्न हुए हैं। देवी लक्ष्मी हालांकि की धन देवी हैं परन्तु उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए आपको स्वस्थ्य और लम्बी आयु भी चाहिए यही कारण है दीपावली दो दिन पहले से ही यानी धनतेरस से ही दीपामालाएं सजने लगती हें।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन ही धन्वन्तरि का जन्म हुआ था इसलिए इस तिथि को धनतेरस के नाम से जाना जाता है। धन्वन्तरी जब प्रकट हुए थे तो उनके हाथो में अमृत से भरा कलश था। भगवान धन्वन्तरि चूंकि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए ही इस अवसर पर बर्तन खरीदने की परम्परा है। कहीं कहीं लोकमान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि इस दिन धन (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है। इस अवसर पर धनिया के बीज खरीद कर भी लोग घर में रखते हैं। दीपावली के बाद इन बीजों को लोग अपने बाग-बगीचों में या खेतों में बोते हैं।
धनतेरस के दिन चांदी खरीदने की भी प्रथा है। अगर सम्भव न हो तो कोइ बर्तन खरिदे। इसके पीछे यह कारण माना जाता है कि यह चन्द्रमा का प्रतीक है जो शीतलता प्रदान करता है और मन में संतोष रूपी धन का वास होता है। संतोष को सबसे बड़ा धन कहा गया है। जिसके पास संतोष है वह स्वस्थ है सुखी है और वही सबसे धनवान है। भगवान धन्वन्तरि जो चिकित्सा के देवता भी हैं उनसे स्वास्थ्य और सेहत की कामना के लिए संतोष रूपी धन से बड़ा कोई धन नहीं है। लोग इस दिन ही दीपावली की रात लक्ष्मी गणेश की पूजा हेतु मूर्ति भी खरीदते हें।
धनतेरस पूजा
शुभ मुहूर्त में 13 दीपक जलाकर तिजोरी में कुबेर की पूजा करनी चाहिए। देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को पुष्प चढ़ाएं। ध्यान करें। कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूं। धूप, दीप, नैवैद्य से पूजा करें।
जानिए धनतेरस व दीपावली के उपाय...
1. धनतेरस या दीपावली की शाम को मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और उसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में सात लक्ष्मीकारक कौडिय़ां रखें। आधी रात के बाद इन कौडिय़ों को घर के किसी कोने में गाड़ दें। इस प्रयोग से शीघ्र ही आर्थिक उन्नति होने के योग बनेंगे।
2.धन लाभ चाहने वाले लोगों के लिए कुबेर यंत्र अत्यन्त सफलतादायक है। धनतेरस या दीपावली के दिन बिल्व-वृक्ष के नीचे बैठकर इस यंत्र को सामने रखकर कुबेर मंत्र को शुद्धता पूर्वक जाप करने से यंत्र सिद्ध होता है तथा यंत्र सिद्ध होने के पश्चात इसे गल्ले या तिजोरी में स्थापित किया जाता है। इसके स्थापना के पश्चात् दरिद्रता का नाश होकर, प्रचुर धन व यश की प्राप्ति होती है।
मंत्र
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहित दापय स्वाहा
3. धनतेरस या दीपावली पर महालक्ष्मी यंत्र का पूजन कर विधि-विधान पूर्वक इसकी स्थापना करें। यह यंत्र धन वृद्धि के लिए अधिक उपयोगी माना गया है। कम समय में ज्यादा धन वृद्धि के लिए यह यंत्र अत्यन्त उपयोगी है। इस यंत्र का प्रयोग दरिद्रता का नाश करता है। यह स्वर्ण वर्षा करने वाला यंत्र कहा गया है। इसकी कृपा से गरीब व्यक्ति भी एकाएक अमीर बन सकता है।
4. पुराने चांदी के सिक्के और रुपयों के साथ कौड़ी रखकर उनका लक्ष्मी पूजन के समय केसर और हल्दी से पूजन करें। पूजा के बाद इन्हे तिजोरी में रख दें। इस उपाय से बरकत बढ़ती है।
5. धनतेरस या दीपावली की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कामों से निपट कर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और मां लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। मां लक्ष्मी से धन संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। कुछ ही समय में आपकी समस्या का समाधान हो सकता है।
6. धनतेरस या दीपावली की शाम को घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें, साथ ही दीए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। इस उपाय से भी धन का आगमन होने लगता है।
7. धनतेरस या दीपावली को विधिवत पूजा के बाद चांदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।
8. श्रीकनकधारा धन प्राप्ति व दरिद्रता दूर करने के लिए अचूक यंत्र है। इसकी पूजा से हर मनचाहा काम हो जाता है। यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है। इसका पूजन व स्थापना भी धनतेरस या दीपावली के दिन करें।
9. धनतेरस या दीपावली की रात को शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करें और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें, जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जाप करें। मंत्र जाप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्
इस टोटके को विधि-विधान पूर्वक संपन्न करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और साधक को मालामाल कर सकती हैं।
10. धनतेरस या दीपावली पर श्रीमंगल यंत्र का पूजन कर स्थापना करें। इस यंत्र के नियमित पूजन से शीघ्र ही सभी प्रकार के कर्जों से मुक्ति मिल जाती है। मंगल भूमि कारक ग्रह है। अत: जो इस यंत्र को पूजता है वह अचल संपत्ति का मालिक होता है।
2.http://www.mygodpictures.com/tag/lord-dhanvantari-ji/page/4/
3.https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/d/d3/Godofayurveda.jpg
4.https://hi.wikipedia.org/wiki/
5.http://www.patrika.com/news/religion-and-spirituality/measures-of-dhanteras-and-diwali-2016-1425607
धनतेरस पूजा
शुभ मुहूर्त में 13 दीपक जलाकर तिजोरी में कुबेर की पूजा करनी चाहिए। देव कुबेर का ध्यान करते हुए, भगवान कुबेर को पुष्प चढ़ाएं। ध्यान करें। कहें, कि हे श्रेष्ठ विमान पर विराजमान रहने वाले, गरूडमणि के समान आभावाले, दोनों हाथों में गदा व वर धारण करने वाले, सिर पर श्रेष्ठ मुकुट से अलंकृत शरीर वाले, भगवान शिव के प्रिय मित्र देव कुबेर का मैं ध्यान करता हूं। धूप, दीप, नैवैद्य से पूजा करें।
प्रथा
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस प्रथा के पीछे एक लोक कथा है, कथा के अनुसार किसी समय में एक राजा थे जिनका नाम हेम था। दैव कृपा से उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। |ज्योंतिषियों ने जब बालक की कुण्डली बनाई तो पता चला कि बालक का विवाह जिस दिन होगा उसके ठीक चार दिन के बाद वह मृत्यु को प्राप्त होगा। राजा इस बात को जानकर बहुत दुखी हुआ और राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया जहां किसी स्त्री की परछाई भी न पड़े। दैवयोग से एक दिन एक राजकुमारी उधर से गुजरी और दोनों एक दूसरे को देखकर मोहित हो गये और उन्होंने गन्धर्व विवाह कर लिया।
विवाह के पश्चात विधि का विधान सामने आया और विवाह के चार दिन बाद यमदूत उस राजकुमार के प्राण लेने आ पहुंचे। जब यमदूत राजकुमार प्राण ले जा रहे थे उस वक्त नवविवाहिता उसकी पत्नी का विलाप सुनकर उनका हृदय भी द्रवित हो उठा परंतु विधि के अनुसार उन्हें अपना कार्य करना पड़ा। यमराज को जब यमदूत यह कह रहे थे उसी वक्त उनमें से एक ने यमदेवता से विनती की हे यमराज क्या कोई ऐसा उपाय नहीं है जिससे मनुष्य अकाल मृत्यु से मुक्त हो जाए। दूत के इस प्रकार अनुरोध करने से यमदेवता बोले हे दूत अकाल मृत्यु तो कर्म की गति है इससे मुक्ति का एक आसान तरीका मैं तुम्हें बताता हूं सो सुनो। कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी रात जो प्राणी मेरे नाम से पूजन करके दीप माला दक्षिण दिशा की ओर भेट करता है उसे अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है। यही कारण है कि लोग इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाकर रखते हैं।
धन्वंतरि
धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या। दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परंतु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।
एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन मे यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।
धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।जानिए धनतेरस व दीपावली के उपाय...
1. धनतेरस या दीपावली की शाम को मां लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें और उसके बाद मां लक्ष्मी के चरणों में सात लक्ष्मीकारक कौडिय़ां रखें। आधी रात के बाद इन कौडिय़ों को घर के किसी कोने में गाड़ दें। इस प्रयोग से शीघ्र ही आर्थिक उन्नति होने के योग बनेंगे।
2.धन लाभ चाहने वाले लोगों के लिए कुबेर यंत्र अत्यन्त सफलतादायक है। धनतेरस या दीपावली के दिन बिल्व-वृक्ष के नीचे बैठकर इस यंत्र को सामने रखकर कुबेर मंत्र को शुद्धता पूर्वक जाप करने से यंत्र सिद्ध होता है तथा यंत्र सिद्ध होने के पश्चात इसे गल्ले या तिजोरी में स्थापित किया जाता है। इसके स्थापना के पश्चात् दरिद्रता का नाश होकर, प्रचुर धन व यश की प्राप्ति होती है।
मंत्र
ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन्य धन्याधिपतये धन धान्य समृद्धि में देहित दापय स्वाहा
3. धनतेरस या दीपावली पर महालक्ष्मी यंत्र का पूजन कर विधि-विधान पूर्वक इसकी स्थापना करें। यह यंत्र धन वृद्धि के लिए अधिक उपयोगी माना गया है। कम समय में ज्यादा धन वृद्धि के लिए यह यंत्र अत्यन्त उपयोगी है। इस यंत्र का प्रयोग दरिद्रता का नाश करता है। यह स्वर्ण वर्षा करने वाला यंत्र कहा गया है। इसकी कृपा से गरीब व्यक्ति भी एकाएक अमीर बन सकता है।
4. पुराने चांदी के सिक्के और रुपयों के साथ कौड़ी रखकर उनका लक्ष्मी पूजन के समय केसर और हल्दी से पूजन करें। पूजा के बाद इन्हे तिजोरी में रख दें। इस उपाय से बरकत बढ़ती है।
5. धनतेरस या दीपावली की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कामों से निपट कर किसी लक्ष्मी मंदिर में जाएं और मां लक्ष्मी को कमल के फूल अर्पित करें और सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाएं। मां लक्ष्मी से धन संबंधी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। कुछ ही समय में आपकी समस्या का समाधान हो सकता है।
6. धनतेरस या दीपावली की शाम को घर के ईशान कोण में गाय के घी का दीपक लगाएं। बत्ती में रुई के स्थान पर लाल रंग के धागे का उपयोग करें, साथ ही दीए में थोड़ी सी केसर भी डाल दें। इस उपाय से भी धन का आगमन होने लगता है।
7. धनतेरस या दीपावली को विधिवत पूजा के बाद चांदी से निर्मित लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति को घर के पूजा स्थल पर रखना चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन इनकी पूजा करने से घर में कभी धन की कमी नहीं होती और घर में सुख-शांति भी बनी रहती है।
8. श्रीकनकधारा धन प्राप्ति व दरिद्रता दूर करने के लिए अचूक यंत्र है। इसकी पूजा से हर मनचाहा काम हो जाता है। यह यंत्र अष्टसिद्धि व नवनिधियों को देने वाला है। इसका पूजन व स्थापना भी धनतेरस या दीपावली के दिन करें।
9. धनतेरस या दीपावली की रात को शुद्धता के साथ स्नान कर पीली धोती धारण करें और एक आसन पर उत्तर की ओर मुंह करके बैठ जाएं। अब अपने सामने सिद्ध लक्ष्मी यंत्र को स्थापित करें, जो विष्णु मंत्र से सिद्ध हो और स्फटिक माला से नीचे लिखे मंत्र का 21 माला जाप करें। मंत्र जाप के बीच उठे नहीं, चाहे घुंघरुओं की आवाज सुनाई दे या साक्षात लक्ष्मी ही दिखाई दे।
मंत्र
ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं ऐं ह्रीं श्रीं फट्
इस टोटके को विधि-विधान पूर्वक संपन्न करने से धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और साधक को मालामाल कर सकती हैं।
10. धनतेरस या दीपावली पर श्रीमंगल यंत्र का पूजन कर स्थापना करें। इस यंत्र के नियमित पूजन से शीघ्र ही सभी प्रकार के कर्जों से मुक्ति मिल जाती है। मंगल भूमि कारक ग्रह है। अत: जो इस यंत्र को पूजता है वह अचल संपत्ति का मालिक होता है।
References:
1.http://hi.drikpanchang.com/festivals/dhanteras/festivals-dhanteras-puja-timings.html2.http://www.mygodpictures.com/tag/lord-dhanvantari-ji/page/4/
3.https://upload.wikimedia.org/wikipedia/commons/d/d3/Godofayurveda.jpg
4.https://hi.wikipedia.org/wiki/
5.http://www.patrika.com/news/religion-and-spirituality/measures-of-dhanteras-and-diwali-2016-1425607
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