लघु कथा
मेरी बहन
लेखक - केदार नाथ 'शब्द मसीहा '
" सर!
मैं खैराती लाल बोल रहा हूँ. कोठा नंबर सात पर रात को चार नयी लडकियां आने वाली
हैं. "
"अबे!
तुम समाज सेवकों को कोई और काम नहीं है क्या ? ठीक है देख लेंगे. "
"हेल्लो!
बेटा, मैं
सुधा बोल रही हूँ. रात को तुम्हारी बहन को अगवा कर लिया है और पुलिस कहती है कि
कोई लड़कियों को बेचने वाला गिरोह इसके पीछे है."
उसे
अंटि किये नोट लाल तप्त कोयले से लग रहे थे.
"सुनों!
शहर का हर कोठा छान मारो और मालूम करो आज कहाँ-कहाँ डिलीवरी हो रही है, कोई
भी नयी लड़की मिले यहाँ लेकर आओ !"
" क्या
सर! आज ही तो माल मिला है आपको, क्यों धंधा खोटा करते हो?"
" साले
! उसमें मेरी बहन भी है!"
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