देश हित में पैदा हुए देश पर ही मर जायेंगे मरते- मरते देश को जिंदा मगर कर जायेंगे,
गर्दिशे-गर- दाब में डूबे तो परवाह नहीं, बहरे हस्ती में पैदा नई लहर कर जायेंगे ।
सहकर जुल्म हस्ती, हम जती, हम शती भारत माता हम तेरा मान बढ़ायेंगे
करते है तिरंगे के नीचे ये प्रण, हम रहे न रहे इंक़लाब को जन- जन तक पहुचाएंगे। ।
इंक़लाब जिंदाबाद !
आओ साथियों हम भी ये प्रण करें कि और कुछ करे या न करे लेकिन देश हित में जरुर जियेंगे ।
ध्वज संहिता के लिए क्लिक करे इंक़लाब जिंदाबाद !
देशभक्त और देशभक्ति को कभी भी किसी अनुमति या सहारे की जरूरत नहीं होती हैं.
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